Friday, 30 May 2014
Tuesday, 6 May 2014
जीवन की सच्चाई
एक आदमी मर गया. जब उसे महसूस हुआ तो उसने
देखा कि भगवान उसके पास आ रहे हैं और उनके हाथ में
एक सूट केस है.
भगवान ने कहा --पुत्र चलो अब समय हो गया.
आश्चर्यचकित होकर आदमी ने जबाव दिया --
अभी इतनी जल्दी? अभी तो मुझे बहुत काम करने हैं.
मैं क्षमा चाहता हूँ किन्तु अभी चलने का समय
नहीं है. आपके इस सूट केस में क्या है?
भगवान ने कहा -- तुम्हारा सामान.
मेरा सामान? आपका मतलब है कि मेरी वस्तुएं, मेरे
कपडे, मेरा धन?
भगवान ने प्रत्युत्तर में कहा -- ये वस्तुएं
तुम्हारी नहीं हैं. ये तो पृथ्वी से सम्बंधित हैं.
आदमी ने पूछा -- मेरी यादें?
भगवान ने जबाव दिया -- वे
तो कभी भी तुम्हारी नहीं थीं. वे तो समय की थीं.
फिर तो ये मेरी बुद्धिमत्ता होंगी?
भगवान ने फिर कहा -- वह
तो तुम्हारी कभी भी नहीं थीं. वे
तो परिस्थिति जन्य थीं.
तो ये मेरा परिवार और मित्र हैं?
भगवान ने जबाव दिया -- क्षमा करो वे
तो कभी भी तुम्हारे नहीं थे. वे तो राह में मिलने
वाले पथिक थे.
फिर तो निश्चित ही यह मेरा शरीर होगा?
भगवान ने मुस्कुरा कर कहा -- वह
तो कभी भी तुम्हारा नहीं हो सकता क्योंकि वह
तो राख है.
तो क्या यह मेरी आत्मा है?
नहीं वह तो मेरी है --- भगवान ने कहा.
भयभीत होकर आदमी ने भगवान के हाथ से सूट केस ले
लिया और उसे खोल दिया यह देखने के लिए कि सूट
केस में क्या है. वह सूट केस खाली था.
आदमी की आँखों में आंसू आ गए और उसने कहा -- मेरे
पास कभी भी कुछ नहीं था.
भगवान ने जबाव दिया -- यही सत्य है. प्रत्येक
क्षण जो तुमने जिया, वही तुम्हारा था.
जिंदगी क्षणिक है और वे ही क्षण तुम्हारे हैं.
इस कारण जो भी समय आपके पास है, उसे भरपूर जियें.
आज में जियें. अपनी जिंदगी जिए.
खुश होना कभी न भूलें, यही एक बात महत्त्व
रखती है.
भौतिक वस्तुएं और जिस भी चीज के लिए आप
यहाँ लड़ते हैं, मेहनत करते हैं...आप यहाँ से कुछ
भी नहीं ले जा सकते हैं.
Thursday, 1 May 2014
जो बीत गई सो बात गई ( Jo Beet Gayi So Baat Gayi) - हरिवंश राय 'बच्चन' (Harivansh Rai 'Bachchan')
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अंबर के आंगन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फ़िर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उस पर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुबन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाईं फ़िर कहाँ खिलीं
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुबन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आंगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई
मृदु मिट्टी के बने हुए हैं
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन ले कर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फ़िर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं,मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई.