Friday, 30 October 2015

भगवान और मृत व्यक्ति के बीच वार्तालाप

इस सुंदर मेसैज को कृपया शेयर करे।

एक बार एक आदमी मर जाता है...

जब उसे इसका एहसास होता है तो वो देखता है की भगवान हाथ में एक सूटकेस लिए उसकी तरफ आ रहें हैं।

भगवान और उस मृत व्यक्ति के बीच वार्तालाप .....

भगवान: चलो बच्चे वापिस जाने का समय हो चूका है।

मृत व्यक्ति: इतनी जल्दी? मेरी तो अभी बहुत सारी योजनाये बाकी थी।

भगवान्: मुझे अफ़सोस है लेकिन अब वापिस जाने का समय हो चूका है।

मृतव्यक्ति: आपके पास उस सूटकेस में क्या है?

भगवान् : तुम्हारा सामान ।

मृतव्यक्ति: मेरा सामान ? आपका मतलब मेरी वस्तुएँ....मेरे कपड़े....मेरा धन..?

भगवान्: वो चीजें कभी भी तुम्हारी नहीं थी बल्कि इस पृथ्वी लोक की थी ।

मृतव्यक्ति: तो क्या इसमें मेरी यादें हैं?

भगवान्: नहीं ! उनका सम्बन्ध तो समय से था।

मृतव्यक्ति: क्या इसमें मेरी योग्यताएं हैं?

भगवान् : नहीं ! उनका सम्बन्ध तो  परिस्थितियों से था।

मृतव्यक्ति: तब क्या मेरे दोस्त और मेरा परिवार ?

भगवान्: नहीं प्यारे बच्चे ! उनका सम्बन्ध तो उस रास्ते से था जिस पर तुमने अपनी यात्रा की थी।

मृतव्यक्ति: तो क्या ये मेरे बच्चे और पत्नी हैं?

भगवान्: नहीं! उनका सम्बन्ध तो तुम्हारे मन से था।

मृत व्यक्ति: तब तो ये मेरा शरीर होना चाहिए ?

भगवान्: नहीं नहीं ! उसका सम्बन्ध तो पृथ्वी की धूल मिटटी से था।

मृतव्यक्ति: तब  जरूर ये मेरी आत्मा होनी चाहिए!

भगवान्: तुम फिर गलत समझ रहे हो मीठे बच्चे ! तुम्हारी आत्मा का सम्बन्ध सिर्फ मुझसे है।

उस मृतव्यक्ति ने आँखों में आंसू भरकर भगवान के हाथों से सूटकेस लिया और उसे  डरते डरते खोला..

खाली.....

अत्यंत निराश.........दुखी होने के कारण आंसू उसके गालो पर लुढकते हुए बहने लगे। उसने भगवान् से पुछा।

मृतव्यक्ति: क्या कभी मेरी अपनी कोई चीज थी ही नहीं?

भगवान्: बिलकुल ठीक! तुम्हारी अपनी कोई चीज नहीं थी।

मृतव्यक्ति: तब...मेरा अपना था क्या?

भगवान: तुम्हारे पल.......
प्रत्येक लम्हा.. प्रत्येक क्षण जो तुमने जिया वो तुम्हारा था।

इसलिए हर पल अच्छा काम करो।
हर क्षण अच्छा सोचो।
और हर लम्हा भगवान् का शुक्रिया अदा करो।

जीवन सिर्फ एक पल है ...

इसे जियो....
इसे प्रेम करो...

इसका आनंद लो....

Sunday, 25 October 2015

"SU VAAT CHHE"

Zindgi to aam chalyaj Kare....
Pan kaik alag Thai jaay to.....
           
          "SU VAAT CHE"

Nthi purva amare rang bhat bhat na.....
Pan koi megh dhanushya banavi jaay to ....

         "SU VAAT CHE"

Nathi kehvu koi ne kai

Pan kahya vagar j koi samji jaay to....

           "SU VAAT CHE"

Alag alag chehrao ni che aa duniya.....
Pan koi ochintu ajanyu j hasi jaay to....

           "SU VAAT CHE"

Jindgi a prem nu biju naam che...
Pan *TAME J PREM CHHO*  em kahi jaay to....

            "SU VAAT CHE"

Jive che to badha potana mate j...
Pan koi bija ne mate jivi jaay to..

          "SU VAAT CHE"

Aam to kai lakhta Nathi aavadtu mane...
Pan Aam j kaik lakhay jaay
Ane...
Tamne Gami jaay to....kehjo k

    "SU VAAT CHE" �� ☺

Wednesday, 14 October 2015

17 PSYCHOLOGICAL TRICKS TO HELP YOU UNDERSTAND YOURSELF & OTHERS BETTER

Psychological hacks are something that enable us
to know people better or in other words, help you
have an advantage over others. Sometimes, it
might be body postures or sometimes it can be
as simple as having a smile on one’s face every
time. What’s actually going on someone’s mind?
Read these psychological hacks here:
1. WANT TO KNOW WHO IS CLOSE TO WHOM?
LAUGH IN A GROUP
When a group of people laugh, each makes eye
contact with the one they feel closest to. So, you
want to know who is closer to whom? Just keep
an eye on everyone.
2. HAVING TROUBLE WAKING UP IN THE
MORNING DESPITE USING AN ALARM? SHOUT
YEAAAAAHHHH!
This works. The next morning you try waking up
with the help of an alarm clock, sit, pump your
fists and shout an over excited ‘yeah!’ That’s all
you need to wake up.
3. NOTICE PEOPLE’S FEET
While talking to any coworker or any person, just
notice their feet. If their feet is pointed towards
you, they like talking to you. If not, they are
disinterested in talking to you.
4. GRADUAL COMMITMENT?
People are more likely to do what you say if you
give them a simpler task first. Yes! This is an
widely used trick.
5. FEELING STRESSED? RE-FRAME YOUR BODY
POSTURE
This is the most effective way to let go of stress.
Why? because physical aspects matter a lot.
What exactly happens is the stress from your
mind is transferred to your body while re-framing
your posture.
6. FEEL ANGRY OFTEN? USE MIRRORS TO
CONTROL IT
Those working in the customer service centers
might know about this. Put a mirror behind the
counter. Whenever an angry customer
approaches, they’ll have to see themselves in the
mirror while talking and hence chances of them
acting irrationally decreases. Because no one
wants to see themselves act as an asshole.
7. AFRAID OF INTERVIEWS? YOU’LL OWN IT
Just tell yourself these things:
1. I have known these people(interviewers) for my
entire life.
2. We’re just old friends catching up. Can’t wait
to see them.
This works because this message is registered in
your subconscious mind and hence prevents you
from feeling jittery.
8. DON’T REACT WHEN PEOPLE ARE ANGRY AT
YOU FOR NO REASON
Image Source
The next time an angry person yells at you, just
stay calm. It’ll make them angrier. Eventually,
their anger will fizz out and instead, they’ll be
shameful of their behavior.
9. TALK TO YOURSELF AND YOU’LL FEEL A
CHANGE IN YOUR PERSONALITY
Facing Monday blues? Or are you feeling blue for
some reason? Just say to yourself – I am
awesome! or any positive thought. Eventually,
your brain will end up believing that and you’ll
feel good.
10. WANNA FEEL MORE CONFIDENT? JUST
STAND UP STRAIGHT WITH YOUR HANDS INSIDE
YOUR POCKETS AND HEAD HELD UP HIGH
Just stand up straight with your hands inside
your pockets and head held up high. It may
sound as a cliche, but this one actually works
making you feel more confident about yourself.
11. DON’T SAY ‘I THINK’ AND ‘I BELIEVE’ TOO
OFTEN.
Signs of low confidence. It shows that you doubt
yourself.
12. PULL A MONICA FROM F.R.I.E.N.D.S!
Clean your house to let go of any stress that you
have in your life. It helps a lot to remove clutter
in your life.
13. PUT ON YOUR SMILEY FACE. ALWAYS.
It makes you feel good about yourself and others.
It makes people like you!
14. IF YOU CAN, REMEMBER OTHER PEOPLE’S
NAMES.
Say you meet someone for the first time and you
ask their name to get that conversation started.
Remember their name and the next time if you
accidentally run into them, address them by their
name. It makes them feel special. You earn
brownie points. Helps a lot for healthy flirting
(Just saying!).
15. IF YOU ARE NERVOUS TO WALK INTO A
ROOM FILLED WITH PEOPLE, JUST ASSUME
THAT EVERYBODY LIKES YOU
Yeah! Just like that. Makes you feel great about
yourself. The veracity of this hack is damn true.
16. ASK OPEN-ENDED QUESTIONS DURING ANY
CONVERSATION
For a conversation to flow seamlessly and to
show the other person that you are interested,
ask questions. And not the closed ones (which
end up in Yes or NO) but open-ended questions.
17. WHILE CONTRADICTING SOMEONE IN AN
ARGUMENT, START YOUR SENTENCES WITH
“YES.. AND…” , THEN CONTINUE WITH YOUR
VIEWPOINT
Well! Waiting to try these on from now on? Me
too guys, me too!
By Shutterprank

Friday, 9 October 2015

Messages from Bollywood movies

1.3Idiots:
काबिल हो जा मेरे बच्चे,
कामयाबी तुम्हारे पीछे झक मार कर
आएगी.
2. Dhoom 3:
जो काम दुनिया को' नामुमकिन लगे, वही मौका होता है
करतब दिखाने का.
3. Badmaash Company:
बड़े से बड़ा बिजनेस पैसे से नहीं,
1 बड़े आइडिया से बड़ा होता है.
4. Yeh Jawaani Hai Deewani:
मैं उठना चाहता हूं,
दौड़ना चाहता हूं,
गिरना भी चाहता हूं....
बस रुकना नहीं चाहता...
5. Sarkar:
नजदीकी फायदा देखने से पहले दूर
का नुकसान सोचना चाहिए.
6. Namastey London:
जब तक हार नहीं होती ना....
तब तक आदमी जीता हुआ रहता
है.
7. Chak De! India:
वार करना है तो सामने वाले के गोल पर नहीं,
सामने वाले के दिमाग पर करो...
गोल खुद ब खुद हो जाएगा.
8. Mary Kom:
कभी किसी को इतना
भी मत डराओ कि
डर ही खत्म हो जाए.
9. Jannat:
जो हारता है,
वही तो जीतने का मतलब जानता है.
10.Happy New Year:
दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं विनर और लूजर...
लेकिन जिंदगी हर लूजर को
1 मौका जरूर देती है जिसमें वह विनर बन सकता
है...

Tuesday, 6 October 2015

जानिए पूजा से जुड़ी विशेष बातें

======================
1. घर में पूजा करने वाला एक ही मूर्ति
की पूजा नहीं करे। अनेक(एक से
अधिक) देवी-देवताओं की पूजा करें। घर
में दो शिवलिंग की पूजा ना करें तथा पूजा स्थान पर
तीन गणेश नहीं रखें।
हमारे हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार मुख्य पंचदेव हैं -
गणेश, विष्णु, शिव, दुर्गा व सूर्य.. समस्त शक्तियां व अवतार
इन पंच परमेश्वरों से ही प्रादुर्भूत होते हैं,
इसलिये इनका पूजन-अर्चन अवश्य ही किया जाना
चाहिये.
2. शालिग्राम विग्रह की आकृति जितनी
छोटी हो वह ज्यादा फलदायक है।
3. बाजार में कुश आसन मिल जाता है उससे कुश
ली जा सकती है.. कुशा
पवित्री के अभाव में सोने का तार या स्वर्ण
की अंगूठी धारण करके भी
देव कार्य सम्पन्न किया जा सकता है।
4. मंगल कार्यो में कुमकुम का तिलक प्रशस्त माना जाता हैं।
पूजा में टूटे हुए अक्षत के टुकड़े नहीं चढ़ाना
चाहिए।
5. पुरुष के दाहिने हाथ में तथा स्त्रियों के बायें हाथ में
रक्षाबंधन किया जाता है।
6. पूजन के उपयोग के लिये प्रयुक्त पानी, दूध,
दही, घी आदि में अंगुली
नही डालना चाहिए। इन्हें लोटा, चम्मच आदि से
लेना चाहिए क्योंकि नख स्पर्श से वस्तु अपवित्र हो
जाती हैं अतः यह वस्तुएँ देव पूजा के योग्य
नहीं रहती हैं।
7. तांबे के बरतन में दूध , दही या पंचामृत आदि को
नहीं डालना चाहिए क्योंकि धर्मग्रंथों के अनुसार वे
मदिरा समान हो त्याज्य हो जाते हैं।
8. आचमन तीन बार करने का विधान है। इससे
त्रिदेव ब्रह्मा-विष्णु-महेश प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि
दाहिने कान का स्पर्श करने पर भी वह आचमन
के तुल्य माना जाता है।
9. कुशा के अग्रभाग से देवताओं पर जल नहीं
छिड़के।
10. देवताओं को अंगूठे से नहीं मले। चकले पर से
चंदन लेकर कभी नहीं लगावें, उसे
छोटी कटोरी या बांयी
हथेली पर रखकर लगावें।
11. पुष्पों को बाल्टी , लोटा , जल में डालकर फिर
निकालकर नहीं चढ़ाना चाहिए, बल्कि हाथ में पुष्प
पकड़कर उपर से जल डालकर प्रक्षालित करे व चढाये।
12.भगवान के चरणों की चार बार , नाभि
की दो बार , मुख की एक बार या
तीन बार आरती उतारकर समस्त अंगों
की सात बार आरती उतारें।
13. भगवान की आरती समयानुसार जो
घंटा , नगाड़ा, झांझर , थाली , घड़ावल , शंख इत्यादि
बजते हैं उनकी ध्वनि से आसपास के वायुमण्डल
के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। नाद ब्रह्म होता
है। नाद के समय एक स्वर से जो प्रतिध्वनि होती
हैं उसमे असीम शक्ति होती हैं।
14. लोहे के पात्र से भगवान को नैवेद्य अर्पित न करे।
15. हवन में अग्नि प्रज्वलित होने पर ही
आहुति दें। समिधा अंगूठे से अधिक मोटी
नहीं होनी चाहिए तथा दस अंगुल
लम्बी होनी चाहिए। छाल रहित या
कीड़े लगी हुई समिधा यज्ञ-कार्य में
वर्जित हैं।मुंह से फूंककर कभी हवन
की अग्नि प्रज्वलित न करें।
16. मेरूहीन माला या मेरू का लंघन करके माला
नहीं जपनी चाहिए। माला रूद्राक्ष ,
तुलसी एवं चंदन की उत्तम
मानी गई हैं। माला को अनामिका
(तीसरी अंगुली) पर रखकर
मध्यमा (दूसरी अंगुली) से चलाना
चाहिए।
17. जप करते समय सिर पर हाथ या वस्त्र नहीं
रखें। तिलक कराते समय सिर पर हाथ या वस्त्र रखना चाहिए।
माला का पूजन करके ही जप करना चाहिए।
ब्राह्मण को या द्विजाति को स्नान करके तिलक अवश्य लगाना
चाहिए।
18. जप करते हुए जल में स्थित व्यक्ति , दौड़ते हुए ,
शमशान से लौटते हुए व्यक्ति को नमस्कार करना वर्जित हैं।
बिना नमस्कार किए आशीर्वाद देना वर्जित हैं। एक
हाथ से प्रणाम नही करना चाहिए। सोए हुए
व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए। बड़ों
को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से
और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करें। जप
करते समय जीभ या होंठ को नहीं
हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुना
फलदायक होता हैं।
19. जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या
गौमुखी से ढककर रखना चाहिए।
20. जप के बाद आसन के नीचे की
भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए।
21. संक्रान्ति , द्वादशी , अमावस्या , पूर्णिमा ,
रविवार और सन्ध्या के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध
है।
22. दीपक से दीपक को
नही जलाना चाहिए।
23. यज्ञ , श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए,
सफेद तिल का नहीं। शनिवार को पीपल
पर जल चढ़ाना चाहिए। पीपल की सात
परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करना श्रेष्ठ है,
किन्तु रविवार को परिक्रमा नहीं करनी
चाहिए।
24.भोजन व प्रसाद को लांघना नहीं चाहिए। देवता
की प्रतिमा देखकर अवश्य प्रणाम करें।
25. किसी को भी कोई वस्तु या दान-
दक्षिणा दाहिने हाथ से देना चाहिए।
26. एकादशी, अमावस्या, कृष्ण
चतुर्दशी , पूर्णिमा व्रत तथा श्राद्ध के दिन क्षौर-
कर्म (दाढ़ी) नहीं बनाना चाहिए।
27. बिना यज्ञोपवीत या शिखा बंधन के जो
भी कार्य , कर्म किया जाता है, वह निष्फल हो
जाता हैं। यदि शिखा नहीं हो तो स्थान को स्पर्श
कर लेना चाहिए, संभव हो तो शिखा स्थान पर कुश या दूर्वा रखे।
28. शिवजी की जलहरी
उत्तराभिमुख रखें।
29. शंकर को बिल्वपत्र , विष्णु को तुलसी , गणेश
को दूर्वा , लक्ष्मी को कमल , दुर्गा को रक्तपुष्प
प्रिय हैं।
30. भगवान शंकर को शिवरात्रि के सिवाय कुंकुम
नहीं चढ़ती।
31. शिवजी को कुंद, विष्णु को धतूरा,
देवी को आक तथा मदार और सूर्य को तगर के फूल
नहीं चढ़ावे।
32. अक्षत देवताओं को तीन बार तथा पितरों को एक
बार धोकर चढ़ावे।
33. नये बिल्वपत्र नहीं मिले तो चढ़ाये हुए
बिल्वपत्र धोकर फिर चढ़ाए जा सकते हैं।
34. विष्णु को चावल , गणेश को तुलसी , दुर्गा और
सूर्य को बिल्वपत्र नहीं चढ़ावें।
35. पत्र-पुष्प-फल का मुख नीचे करके
नहीं चढ़ावें, जैसे उत्पन्न होते हों वैसे
ही चढ़ावें। किंतु बिल्वपत्र उलटा करके
डंडी तोड़कर शंकर पर चढ़ावें। पान की
डंडी का अग्रभाग तोड़कर चढ़ावें। सड़ा हुआ पान या
पुष्प नहीं चढ़ावे।
36. गणेश को तुलसी भाद्र शुक्ला
चतुर्थी को चढ़ती हैं।
37. पांच रात्रि तक कमल का फूल बासी
नहीं होता हैं।
38. दस रात्रि तक तुलसी पत्र बासी
नहीं हो
39. सभी धार्मिक कार्यो में पत्नी को
दाहिने भाग में बिठाकर धार्मिक क्रियाएं सम्पन्न
करनी चाहिए।
40. पूजन करनेवाला ललाट पर तिलक लगाकर ही
पूजा करें।
41. पूर्वाभिमुख बैठकर अपने बांयी और घंटा , धूप
तथा दाहिनी ओर शंख , जलपात्र एवं पूजन
सामग्री रखें। घी का दीपक
अपने बांयी ओर तथा देवता के दाहिने ओर रखें एवं
चावल पर दीपक रखकर प्रज्वलित करें।

Monday, 5 October 2015

11 Amazing Quotes By Asia's first Nobel laureate Rabindranath Tagore

1. You can't cross the sea merely by standing and staring at the water.
2. I slept and dreamt that life was Joy. I woke and saw that life was Duty. I acted, and behold, Duty was Joy.
3. Let your life lightly dance on the edges of Time like dew on the tip of a leaf.
4. The emancipation of our physical nature is in attaining health, of our social being in attaining goodness, and of our self in attaining love.
5. Do not say, 'It is morning,' and dismiss it with a name of yesterday. See it for the first time as a newborn child that has no name.
6. Your idol is shattered in the dust to prove that God's dust is greater than your idol.
7. According to the true Indian view, our consciousness of the world merely as the sum total of things that exist, and as governed by laws, is imperfect. But it is perfect when our consciousness realizes all things as spiritually one with it, and therefore capable of giving us joy. For us the highest purpose of this world is not merely living in it,knowing it and making use of it, but realizing our own selves in it through
expansion of sympathy; not alienating ourselves from it and dominating it, but comprehending and uniting it with ourselves in perfect union.
8. I have become my own version of an optimist. If I can't make it through one door, I'll go through another door - or I'll make a door. Something terrific will come no matter how dark the present.
9. We live in the world when we love it.
10. We gain freedom when we have paid the full price.
11. Children are living beings - more living than grown-up people who have built shells of habit around themselves. Therefore it is absolutely necessary for their mental health and development that they should not have mere schools for their lessons, but a world whose
guiding spirit is personal love.

Monday, 7 September 2015

भगवान कृष्ण अर्जुन संवाद

महाभारत का युद्ध चल रहा था।
अर्जुन के सारथी श्रीकृष्ण थे।
जैसे ही अर्जुन का बाण छूटता,
कर्ण का रथ दूर तक पीछे चला जाता।
जब कर्ण का बाण छूटता,
तो अर्जुन का रथ सात कदम पीछे चला जाता।
श्रीकृष्ण ने अर्जुन की प्रशंसा के स्थान पर
कर्ण के लिए हर बार कहा...
कितना वीर है यह कर्ण?
जो उनके रथ को सात कदम पीछे धकेल देता है।
अर्जुन बड़े परेशान हुए।
असमंजस की स्थिति में पूछ बैठे...
हे वासुदेव! यह पक्षपात क्यों?
मेरे पराक्रम की आप प्रशंसा नहीं करते...
एवं मात्र सात कदम पीछे धकेल देने वाले कर्ण को
बारम्बार वाहवाही देते है।
श्रीकृष्ण बोले-अर्जुन तुम जानते नहीं...
तुम्हारे रथ में महावीर हनुमान...
एवं स्वयं मैं वासुदेव कृष्ण विराजमान् हैं।
यदि हम दोनों न होते...
तो तुम्हारे रथ का अभी अस्तित्व भी नहीं होता।
इस रथ को सात कदम भी पीछे हटा देना कर्ण के
महाबली होने का परिचायक हैं।
अर्जुन को यह सुनकर अपनी क्षुद्रता पर ग्लानि हुई।
इस तथ्य को अर्जुन और भी अच्छी तरह तब समझ पाए
जब युद्ध समाप्त हुआ।
प्रत्येक दिन अर्जुन जब युद्ध से लौटते...
श्रीकृष्ण पहले उतरते,
फिर सारथी धर्म के नाते अर्जुन को उतारते।
अंतिम दिन वे बोले-अर्जुन...
तुम पहले उतरो रथ से व थोड़ी दूर जाओ।
भगवान के उतरते ही रथ भस्म हो गया।
अर्जुन आश्चर्यचकित थे।
भगवान बोले-पार्थ...
तुम्हारा रथ तो कब का भस्म हो चुका था।
भीष्म,
कृपाचार्य,
द्रोणाचार्य

कर्ण के
दिव्यास्त्रों से यह नष्ट हो चुका था।
मेरे संकल्प ने इसे युद्ध समापन तक जीवित रखा था।
अपनी श्रेष्ठता के मद में चूर अर्जुन का अभिमान चूर-
चूर हो गया था।
अपना सर्वस्व त्यागकर वे प्रभू के चरणों पर नतमस्तक
हो गए।
अभिमान का व्यर्थ बोझ उतारकर हल्का महसूस कर
रहे थे...
गीता श्रवण के बाद इससे बढ़कर और क्या उपदेश हो
सकता था कि सब भगवान का किया हुआ है।
हम तो निमित्त मात्र है।
काश हमारे अंदर का अर्जुन इसे समझ पायें।
घमंड जीवनमें कष्ट ही देता है। ........
अहंकार छोडो लेकीन स्वाभिमान के लिये लडते रहो |
हरे कृष्णा |